What was the flight speed of Hanuman ji

Flying Speed of Hanuman Ji : हनुमान जी की स्पीड को जानकर चौंक जायेंगे आप!

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Flying Speed of Hanuman Ji : हनुमान जी की उड़ने की स्पीड को जानकर चौंक जायेंगे आप!

दोस्तों बचपन में जब हमारे बड़े हमें रामायण की कहानियां सुनाएं करते थे तब हमें लक्ष्मण जी के बेहोश होने पर Lord Hanuman Ji के संजीवनी बूटी लेने जाना जाने का किस्सा सुनाया जाता था जिसमे संजीवनी बूटी ना मिलने पर पूरा का पूरा पर्वत उठाकर लाने वाला किस्सा बेहद लगता था| क्या – कभी आपने यह सोचा कि Hanuman Ji Ki Spped क्या होगी ? जिस तरह से हनुमान जी एक ही रात में श्रीलंका से हिमालय के पर्वतों पर पहुंचे ? और पहाड़ उठाकर वापस भी आ गए तो निश्चित ही उनके उड़ने की क्षमता बेहद तेज रही होगी| लेकिन कितनी तेज ? इस बात का सही सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता लेकिन फिर भी आपके मन में उठ रहे सवालों के जवाब खोजने के लिए हमने कुछ तथ्यों का सहारा लिया और गुणा भाग करके Hanuman ji ki flying speed जानने की कोशिश की है

flying speed of hanuman Ji
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अगर कोई गलती या भूल हो जाए तो कमेंट कर के बताने का कष्ट करे| तो दोस्तों जहां तक हमारी जानकारी है जिस वक्त लक्ष्मण और मेघनाथ का युद्ध होने वाला था उससे ठीक पहले मेघनाथ ने अपने कुलदेवी की तपस्या शुरू की थी और वह तपस्या मेघनाथ ने पूरा दिन की थी. इस पूजा की खबर जब Shree Ram Ji की सेना को लगी तो विभीषण ने बताया कि अगर मेघनाथ की तपस्या पूर्ण हो गई तो मेघनाथ अमर हो जाएगा, उसके बाद तीनों लोकों में मेघनाथ को कोई नहीं मार सकेगा | इसीलिए मेघनाथ की तपस्या किसी तरीके से भंग कर के उसे अभी युद्ध के लिए ललकारना होगा| इसके बाद hanuman ji सहित कई वानर मेघनाथ की तपस्या भंग करने गए. उन्होंने अपनी गदा के प्रहार से मेघनाथ की तपस्या भंग करने में सफलता प्राप्त की लेकिन तब तक रात हो चुकी थी|

flying speed of hanuman ji

What was Hanuman’s Flying Speed ?

लक्ष्मण जी ने रात को ही मेघनाथ को युद्ध के लिए ललकारा, रामायण के अनुसार उस समय रात्रि का दूसरा पहर शुरु हो चुका था| दोस्तों रात्रि का पहला पहर सूर्य अस्त होते ही शुरू हो जाता है और सूर्य उदय होने के साथ ही रात्रि का अंतिम यानी चौथा पहर खत्म हो जाता है | यानी चार पहर होते हैं | इसका मतलब प्रत्येक पहर 3 घंटे का हुआ. अब अगर आधुनिक काल की घड़ी के हिसाब से देखें तो लक्ष्मण और मेघनाथ का युद्ध रात के करीब 9:00 बजे शुरू हुआ होगा | यह भी कहा जाता है कि लक्ष्मण जी और मेघनाथ के बीच बेहद घनघोर युद्ध हुआ था जो लगभग 1 पहर यानी 3 घंटे तक चला था. उसके बाद मेघनाथ ने अपने शक्तिशाली अस्त्र का प्रयोग किया जिससे लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए | लक्ष्मण जी के मूर्छित होने का समय लगभग 12:00 बजे के आसपास का रहा होगा|

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hanuman ji flying speed
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लक्ष्मण जी के मूर्छित होने से समस्त वानर सेना में हड़कंप मच गया| मेघनाथ ने मूर्छित लक्ष्मण को उठाने की जी तोड़ कोशिश की लेकिन जो शेषनाग समस्त पृथ्वी को अपने फन पर उठा सकता था उसी शेषनाग के अवतार को भला मेघनाथ क्या उठा पाता | लक्ष्मण जी को ना उठा पाने पर मेघनाथ वापस चला गया| Shree Ram Ji अपने प्राणों से भी प्यारे भाई को मूर्छित देखकर शोक में डूब गए, उसके बाद विभीषण के कहने पर Hanuman Ji लंका में से राज्य वेद को जबरदस्ती उठा लाए |

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लक्ष्मण जी अगर 12:00 बजे मूर्छित हुए तो जाहिर है उसके बाद श्री राम के शोक और विभीषण द्वारा सुषेण वैद्य लेन के लिया कहना और हनुमान जी द्वारा सुषेण वैद्य को उठा लाना इन सब में कम से कम 1 घंटा तो लग ही गया होगा. यानी रात्रि के करीब 1:00 बज चुके होंगे | इसके बाद Sushen Vaidya द्वारा लक्ष्मण की जांच करने और उनके प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाने की सलाह देने और हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए प्रस्थान करने में भी कम से कम आधा घंटा जरूर लगा होगा.

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तो दोस्तों हम ये मान सकते हैं कि बजरंगबली हनुमान आज के समय के अनुसार करीब 1:30 पर संजीवनी बूटी लाने के लिए रावण की नगरी से उड़े होंगे | जहां तक सवाल उनके वापस आने का है तो निश्चित ही वह सूर्य उदय होने से पहले वापस आ गए होंगे | यानि की Bajrangbali के वापस आने का समय लगभग 5:00 बजे का रहा होगा | 1:30 बजे लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए hanuman ji उड़े और 5:00 बजे तक वापस आ गये इसका मतलब हनुमान जी 3:30 घंटे में द्रोणागिरी पर्वत उठाकर वापस आ गए | लेकिन दोस्तों इन 3:30 घंटों में से भी हमें कुछ समय कम करना होगा क्योंकि जैसे ही लंका से निकलकर पवन पुत्र भारत आए तो रास्ते में उन्हें कालनेमि नामक राक्षस अपना रूप बदले मिला |

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What was the flight speed of Hanuman ji

कालनेमि निरंतर श्री राम का जप करा था, लेकिन वास्तव में उसकी मंशा हनुमान जी का समय खराब करने की थी | Hanuman ji ने जब जंगल से रामनाम का जाप सुना तो जिज्ञासावश नीचे उतर आए | कालनेमि ने खुद को बहुत बड़ा ज्ञानी बताया और हनुमान जी से कहा कि पहले आप स्नान करके आओ उसके बाद मैं आपको रावण के साथ चल रहे युद्ध का नतीजा बताऊंगा | भोले hanuman ji उसकी बातों में आ गए और स्नान करने चले गए | स्नान करते समय उनका सामना एक मगरमच्छ से हुआ जिसे हनुमान जी ने मार डाला| उस मगर की आत्मा ने हनुमान को उस कपटी कालनेमि की की हकीकत बताइ तो बजरंगबली ने उसे भी अपनी पूंछ में लपेटकर परलोक भेज दिया |

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दोस्तों इन सब में भी हनुमान जी का कम से कम आधा घंटा जरूर खराब हुआ होगा | उसके बाद बजरंगबली ने उड़ान भरी और Dronagiri Mountains जा पहुंचे, लेकिन Hanuman Ji कोई वैद्य नहीं थे इसीलिए संजीवनी बूटी को पहचान नहीं सके और संजीवनी को खोजने के लिए वह काफी देर तक भटकते रहे | इसमें उनका कम से कम आधा घंटा खराब हुआ होगा. बूटी को ना पहचान पाने की वजह से हनुमान जी ने पूरा पर्वत ही उठा लिया और वापस लंका की ओर जाने लगे | लेकिन दोस्तों Hanuman Ji के लिए एक और मुसीबत आ गई |

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हुआ यह की जब पवन पुत्र पर्वत लिए अयोध्या के ऊपर से उड़ रहे थे तो श्री राम के भाई भरत ने सोचा कि यह कोई राक्षस अयोध्या के ऊपर से जा रहा है और उन्होंने बिना सोचे समझे Mahaveer Hanuman पर बाण चला दिया| बाण लगते ही वीर हनुमान श्री राम का नाम लेते हुए नीचे आ गिरे | हनुमान के मुंह से श्री राम का नाम सुनते ही भरत दंग रह गए और उन्होंने हनुमानजी से उनका परिचय पूछा तो हनुमान जी ने उन्हें राम रावण युद्ध के बारे में बताया | लक्ष्मण के मूर्छित होने का पूरा किस्सा सुनाया, यह सब सुनकर वह भी रोने लग गए और उनसे माफी मांगी| फिर हनुमानजी का उपचार किया गया और हनुमान जी वापस लंका की ओर ओर चलें | लेकिन दोस्तों इन सभी घटनाओं में भी बजरंगबली के कीमती समय का आधा घंटा फिर से खराब हो गया | अब हनुमान जी के सिर्फ उड़ने के समय की बात करें तो सिर्फ दो घंटे थे और इन्हीं दो घंटों में वह लंका से द्रोणागिरी पर्वत आए और वापस गए |

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अब अगर हम उनके द्वारा तय की गई दूरी को देखें तो Wikipedia के अनुसार Sri Lanka to Dronagiri Mountains तक की दूरी लगभग “ 2500 किलोमीटर” की है यानी कि यह दूरी आने जाने दोनों तरफ की मिलाकर 5000 किलोमीटर बैठती है और बजरंगबली ने यही 5000 किलोमीटर की दूरी 2 घंटे में तय की | इस हिसाब से हनुमान जी के उड़ने की रफ्तार लगभग 2500 किलोमीटर प्रति घंटा की दर से निकलती है. तो दोस्तों इसकी तुलना अगर ध्वनी की रफ्तार से करें तो उसकी तुलना में हनुमानजी की गति लगभग 2 गुना ज्यादा बैठती है |

आधुनिक भारत के पास मौजूद रसिया से मंगवाए गए लड़ाकू विमान मिग 29 की रफ्तार 2400 किलोमीटर प्रति घंटा है. अगर इसकी तुलना हनुमान जी की रफ्तार से करें तो यहां पर भी हनुमान जी की रफ्तार ज्यादा निकलती है यानी हनुमान जी आधुनिक भारत के पास मौजूद सबसे तेज लड़ाकू विमान से भी तेज उड़ते थे |

आपको हमारी यह जानकरी कैसी लगी कृपया नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरुर बताएं..

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