दोस्तों 1950 और 1960 के दशक में अमेरिका और रूस के बीच चांद पर जाने के मिशन को लेकर होड़ मची हुई थी . जिसमें पहली सफलता रूस को मिली | रूस ने लूना 2 और लूना 3 नामक दो यान चांद पर सफलतापूर्वक भेजें . उसके बाद अमेरिकन संस्था नासा ने एक के बाद एक अपने पांच अंतरिक्ष यान चांद की तरफ रवाना करने की कोशिश की लेकिन हर बार नासा की हाथ असफलता ही लगी. इस होड़ में रूस अमेरिका से जीत रहा था |
इंसान का चांद पर पहला कदम
1960 का दशक बीतते-बीतते अमेरिका ने इस मुकाबले में शानदार सफलता हासिल की और नील आर्मस्ट्रांग के तौर पर पहली बार किसी इंसान ने चांद पर कदम रखा | नील आर्मस्ट्रांग का यह कदम रूस के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए हैरान कर देने वाला था . किसी को यकीन नहीं था कि इंसान चांद पर पहुंच गया है |
आईपीसी की धारा 307 क्या है और सजा व जुर्माने का क्या प्रावधान है
रूस द्वारा चांद पर परमाणु परीक्षण करने का का ऐलान
रूस की अंतरिक्ष संस्था OKB ने तो अमेरिका द्वारा प्राप्त इस शानदार सफलता को अमेरिका द्वारा फैलाया गया सबसे बड़ा झूठ करार दे दिया था | लेकिन असलियत में नासा की कामयाबी से रूस चिड़ा हुआ था | इसी चिड़ के कारण रूस ने दावा किया कि अगले दशक तक वह अपने परमाणु परीक्षण चांद पर ही करेगा . रूस का कहना था कि उसने बहुत शक्तिशाली परमाणु बम बनाए हैं , जिनका परीक्षण पृथ्वी पर करना यहां के मौसम के लिए खतरनाक है इसलिए वह इन परीक्षणों को चांद पर करेंगे | हालांकि यह और बात है कि आज 21वीं सदी का लगभग एक चौथाई हिस्सा बीतने वाला है और आज तक किसी देश ने ऐसे किसी कदम को अंजाम नहीं दिया है |
प्रोजेक्ट A 119
वहीं रूस के दावे से पहले प्रोजेक्ट ए 119 नामक मिशन के जरिए अमेरिका ने भी चांद पर परमाणु बम टेस्ट करने की योजना बनाई थी | अमेरिका का कहना था कि उसके पास इतने शक्तिशाली परमाणु हथियार है कि वह पल भर में ही चांद को नष्ट करके धरती पर गिरा सकता है , लेकिन दोस्तों इस तरह के दावे करना जितना आसान है उतना ही मुश्किल है इन दावों को हकीकत तक ले कर जाना | असल में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से तेजी से बाहर निकलने के लिए बहुत ताकत की जरूरत होती है | जिसके लिए ढेर सारा इंधन चाहिए इसी वजह से यान बहुत ज्यादा वजनी हो जाता है | इसलिए हमें सिर्फ जरूरत का सामान ही रखा जाता है और यान को बेहद हल्का बनाने की तमाम कोशिशें की जाती है . ऐसे में कई टन भारी वजन के परमाणु बम को यान में लेकर जाने के लिए शायद किसी अलग ही तकनीक की जरूरत हो |
दुनिया के 3 जंगली बच्चे, जिन्हें जानवरों ने किया पालकर बड़ा!
प्रोजेक्ट A 119 का विरोध
जिस समय अमेरिका और रूस इस तरह के दावे कर रहे थे उस समय उनकी कोशिशों को देखकर लोगों को ऐसा लगता था की जल्दी ही मानो चांद पर विस्फोट करेंगे और चांद को टुकड़ो में बिखेर देंगे | इसीलिए अमेरिका के प्रोजेक्ट ए 119 का उस समय जबरदस्त विरोध भी हुआ था | सभी का ऐसा मानना था की हम इंसान अपनी धरती को तो बर्बाद कर ही रहे हैं और अब चांद की भी खैर नहीं |
चांद को टुकड़ों में बिखेरना क्यों है असंभव ……
दोस्तों यहां एक संभावना है कि अगर भविष्य में कभी किसी देश ने एक बेहद भारी परमाणु या हाइड्रोजन बम का प्रयोग या परीक्षण चांद पर किया , तो इसके क्या नतीजे होंगे …. दोस्तों वैसे तो चांद आकार में पृथ्वी का एक तिहाई है और चांद का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में 6 गुना कम है | लेकिन फिर भी चांद इतना बड़ा है कि कोई एक परमाणु बम चांद को नष्ट नहीं कर सकता | इसका मतलब वर्तमान समय में इंसानों द्वारा चांद को नष्ट करना असंभव है |
सरकारी नौकरी छोड़, गांव में खोला ऑनलाइन ढाबा। 300 लोगों को दे दी जॉब
चांद पर परमाणु परीक्षण के नतीजे क्या हो सकते हैं जानिए –
ऐसा करने के लिए पृथ्वी पर मौजूद सभी परमाणु शस्त्रों को मिलाकर विस्फोट किया जा सकता है उस विस्फोट से भी कई लाख गुना अधिक शक्तिशाली विस्फोट चांद पर करना होगा, तो ही चांद को टुकड़ो में बिखेरने की बात सच हो सकती है | लेकिन दोस्तों इसके नतीजे क्या होंगे –
- अगर चांद को कई टुकड़ों में बिखेर दिया जाए तो जो बड़े होंगे वह हमारी पृथ्वी की परिक्रमा करने लगेंगे और हमारे पास छोटे ही सही लेकिन एक से अधिक चांद हो जाएंगे| वहीं कुछ छोटे टुकड़े बहुत ही तेज गति से पृथ्वी की तरफ खींचे चले आएंगे जो पृथ्वी के लिए बेहद विनाशकारी साबित होंगे | मतलब चांद अपने नष्ट किए जाने का बदला हमसे जरूर लेगा. वहीं दूसरी और यह टुकड़े अंतरिक्ष में मौजूद हमारे सैटेलाइट से भी टकरा सकते हैं जिससे इंटरनेट और संसार की सेवाएं खत्म हो जाएंगी|
यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो एक बार इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें - चंद्रमा की अनुपस्थिति में हम सूर्य ग्रहण कभी नहीं देख पाएंगे, जिससे खासतौर पर भारत में ज्योतिषियों को बहुत ज्यादा निराशा होगी जो की अक्सर ग्रहण को लेकर उल्टी-सीधी भविष्यवाणियां करके अपनी दुकान चलाते हैं |
- समुद्र में होने वाले ज्वार-भाटे की प्रक्रिया भी काफी हद तक बंद हो जाएगी जिससे समुद्र में होने वाले सर्फिंग जैसे खेल नहीं खेले जा सकेंगे |
- लेकिन सबसे ज्यादा विनाशकारी प्रभाव जो चंद्रमा के बगैर होगा वह है , पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में परिवर्तन असल में पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 डिग्री झुकी हुई है | पृथ्वी के इसी झुकाव के कारण पृथ्वी पर सूर्य की किरणें कभी सीधी तो कभी तिरछी पड़ती है . जिससे सर्दी और गर्मी के रूप में मौसम में परिवर्तन होता है . पृथ्वी के झुकाव को चांद ही अपने गुरुत्वाकर्षण बल से स्थिर रखता है | हालांकि यह झुकाव पूरी तरह से स्थिर नहीं है 22.1 से 24.5 के बीच में रहता है | लेकिन चांद के बगैर झुकाव की स्थिरता हमेशा के लिए खो जाएगी | पृथ्वी कभी बिल्कुल सीधी तो कभी-कभी 45 डिग्री तक तिरछी भी हो जाएगी और ऐसा बहुत तेजी से होगा जिसकी वजह से कभी अचानक ठंड तो , कभी बेहद तेज गर्मी पड़ने लगेगी . जिससे हो सकता है की रात को ठंड की वजह से आपको हीटर चला कर सोना पड़े लेकिन सुबह तक इतनी गर्मी हो जाए कि आपको उठकर अपना एयर कंडीशनर चालू करना पड़े |
- मौसम में हुए नाटकीय परिवर्तन के कारण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ पिघलनी शुरू हो जाएगी , जिससे महासागरों का स्तर लगातार बढ़ने लगेगा . जिससे धीरे-धीरे करके पृथ्वी का बहुत बड़ा हिस्सा जलमग्न हो जाएगा | फिर शायद हमें रहने के लिए अपने घरों को छोड़ कर पहाड़ों की ओर भागना पड़ेगा | करोड़ों इंसान और जीव-जंतु बेमौत मारे जाएंगे | हालांकि यह सब अचानक से नहीं होगा लेकिन चंद्रमा के नष्ट होने का फल संपूर्ण मानव जाति को भुगतना पड़ेगा |
कुछ भारतीयों ने बनाए अजीब वर्ल्ड रिकॉर्ड!
तो दोस्तों अब आप समझ ही गए होंगे कि चंद्रमा सिर्फ कहने भर के लिए हमारे बच्चों के प्यारे – प्यारे चंदा मामा नहीं है बल्कि चंद्रमा सच में हमारी पृथ्वी के भाई की भूमिका निभाता आ रहा है | चंद्रमा पृथ्वी पर सर्दी गर्मी के मौसम में संतुलन बनाए रखता है . इसीलिए अगली बार जब आप रात को चांद देखें तो एक बार चांद को थैंक यू जरूर बोल देना| अगर आप सभी को हमारी आज की पोस्ट अच्छी लगी हो तो लाइक शेयर जरूर कीजिएगा धन्यवाद |
Follow us on Facebook
Credit : BBN