Section 497 in hindi
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अनिल पायल है, 158 साल पहले यानी सन 1860 में अंग्रेजों ने इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी बनाया था जिसमें उन्होंने एक सेक्सन ऐड किया था 497. जिसमें यह प्रोविजन किया गया था कि अगर कोई भी सक्स किसी दूसरे की पत्नी के साथ इंटरकोर्स करता है यानी सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो यह एक क्राइम होगा लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस सेक्शन 497 को रद्द कर दिया है|
आज हम बात करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने इस सेक्शन को क्यों रद्द किया है और इसकी रद्द होने से क्या इफेक्ट होगा| सबसे पहले हम बात करते हैं कि 497 मैं क्या प्रोविजन किया गया था. आईपीसी सेक्शन 497 में यह प्रोविजन किया गया था कि,जो भी कोई ऐसी महिला के साथ जो किसी दूसरे पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी दूसरे पुरुष की पत्नी होना वह विश्वास पूर्वक जानता है, बिना उसके पति की सहमति उपेक्षा के शारीरिक संबंध बनाता है जो कि बलात्कार के अपराध की कैटेगरी में नहीं आता तो एडल्ट्री के अपराध का दोषी होगा और उसे किसी एक अवधि के कारावास की सजा जिसमें 5 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा| इस सेक्शन में यह साफ-साफ कहा गया है कि अगर कोई भी पर्सन किसी दूसरे की पत्नी के साथ इंटरकोर्स करता है यानी सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो यह एक क्राइम होगा जिसके लिए उसे 5 साल तक की सजा हो सकती है. section 497 in hindi
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सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए धारा 497 को किया रद्द
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने एडल्ट्री को अब क्राइम की कैटेगरी से बाहर कर दिया है. कोर्ट ने सेक्शन 497 को यौन स्वतंत्रता यानी सेक्सुअल लिबर्टी बाधक करार दिया है| सीआरपीसी सेक्शन 198 सब सेक्शन 2 में धारा 497 के तहत विक्टिम सक्स यानी पति या गार्जियन को शिकायत करने का अधिकार दिया गया था तो कोर्ट ने इसे भी रद्द कर दिया है| यहां पर आप को एक बात और समझ लेनी चाहिए कि आईपीसी सेक्शन 497 में सिर्फ मेल पर्सन के लिए ही सजा का प्रोविजन किया गया था फीमेल के लिए इसमें किसी सजा का प्रावधान नहीं किया गया था| सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते समय काफी बातें कही जिसमें से एक बार सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा की मेल और फीमेल दोनों बराबर होते हैं इसलिए सिर्फ मेल को सजा दिया जाना यह न्याय के खिलाफ है|
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एक बात सुप्रीम कोर्ट ने यह कही कि आईपीसी सेक्शन 497 यह सेक्सुअल लिबर्टी यानी सेक्स करने की आजादी के खिलाफ है तो इन 2 कारणों की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी सेक्शन 497 को रद्द कर दिया है| इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एडल्टी अभी भी डायवोर्स का एक ग्राउंड है यानी अगर किसी का पति या पत्नी एडल्ट्री करता है तो वह इस ग्राउंड पर अभी भी डायवोर्स ले सकता है| आप इसको यू समझिए की अगर आप अपनी पत्नी को किसी अदर परसन के साथ सेक्स करते हुए देख लेते हैं तो आप उसे सिर्फ डायवोर्स दे सकते हैं उनमें से आप किसी को भी सजा नहीं दिला सकते हैं| क्योंकि वह एक लीगल काम कर रहे हैं. सेक्शन 497 के रद्द होने का इफेक्ट अब यह होगा कि कोई भी पति या पत्नी जिसके साथ चाहे उसके साथ रिलेशन बना सकते हैं इसके लिए उन्हें कोई सजा नहीं दी जाएगी|
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दोस्तों क्या कोर्ट ने धारा 497 को रद्द करके सही किया है अपनी महत्वपूर्ण राय कमेंट में जरुर बताये