हेलो दोस्तों मेरा नाम अनिल पायल है, जब से इंसानों की प्रजाति ने होश संभाला है तब से वह हथियार बनाता आया है. पहले पत्थरों के हथियार व लकड़ियों के हथियार, जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए. फिर धातुओं के हथियार बनने लगे जंगली जानवरों को मारने के लिए और फिर बारूदी हथियार बनने लगे जिनका मुख्य उद्देश्य अब जानवरों को मारना नहीं रहा बल्कि अपने ही लोगों को यानी कि इंसानों को मारना था, दूसरे देशों को जीतना था|
16 जुलाई 1945 के दिन इंसानों ने मेक्सिको के रेगिस्तान में एक नई ताकत को जन्म दिया. यह ताकत किसी को मारने का ही नहीं बल्कि पूरी मानवता और पर्यावरण को खत्म करने का दम रखती थी और यह ताकत थी परमाणु हथियार की| अपने जन्म के सिर्फ 21 दिन बाद ही इस ताकत ने अपना खोप पूरी दुनिया के दिलों दिमाग में भर दिया. जब 6 अगस्त 1945 को पहली बार इसका इस्तेमाल जापान के 2 शहरों पर किया गया तो इसके नतीजे अनुमान से कहीं ज्यादा भयंकर थे. किंतु अब उससे भी ज्यादा चिंता की बात है इन परमाणु हथियारों की तेजी से बढ़ती संख्या |
फिलहाल पूरी दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या लगभग 15600 है. कमाल की बात तो यह है कि पूरी दुनिया को नष्ट करने का दम रखने वाली यह ताकत सिर्फ 9 देशों के पास है. यदि भविष्य में इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो बाकी के 186 देश निर्दोष होने के बावजूद भी हमेशा के लिए तबाह हो जाएंगे और इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि इन में से 92% परमाणु हथियार सिर्फ 2 देशों अमेरिका और रूस के पास हैं. बाकी बचे 8% परमाणु हथियार फ्रांस, चाइना, यूनाइटेड किंगडम, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और नॉर्थ कोरिया के पास हैं.
रूस के पास 7300 परमाणु हथियार हैं, अमेरिका के पास 6970, फ्रांस के पास 300, चाइना के पास 260, यूनाइटेड किंगडम के पास 215, भारत के पास 115, पाकिस्तान के पास 125, इजराइल के पास 60 से लेकर 400 और नॉर्थ कोरिया के पास 10 से कम परमाणु हथियार हैं. दोस्तों यह सिर्फ एक अनुमान है कोई ऑफिशियल रिकॉर्ड नहीं है.
मतलब साफ है आज हमारी पृथ्वी में दो राजा देश हैं एक रूस और दूसरा अमेरिका | यह दो देश जब चाहे तब किसी भी मुल्क को खत्म कर सकते हैं. इनमें रसिया आज तक शांत ही रहा है लेकिन अमेरिका पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा देश है जिसने इतिहास में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया है. लेकिन जिस समय अमेरिका ने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया उस समय यह अपने शुरुआती समय में थे यानी आप इन्हें परमाणु हथियारों का शिशु काल भी कह सकते हैं. किंतु आज यह परमाणु हथियार जवान हो चुके हैं.
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में करीब ढाई लाख लोग मारे गए थे. जिनमें से 1 लाख लोग बम गिरते ही तुरंत मारे गए थे और बाकी के 1.5 लाख लोग अगले कुछ सालों तक मरते रहे. जिस जगह यह बम गिराए गए थे उस जगह का तापमान 3 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. जाहिर है इतने तापमान में मौजूद इंसानों के साथ साथ सभी जीव-जंतु या वस्तुएं भाप बनकर उड़ गए थे. लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बंब आज के आधुनिक परमाणु हथियारों की तुलना में बहुत ही कमजोर थे.
हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम करीब 15 किलोटन का था. इससे उठने वाले आग के गुब्बारे जिसे मशरूम क्लाउड कहा जाता है इसकी ऊंचाई करीब 7000 मीटर की थी. नागासाकी पर गिराया गया बम इससे थोड़ा बड़ा था इस बम का वजन 21 किलोटन था. अगर इन दोनों परमाणु बमों की तुलना आज अमेरिका के पास मौजूद परमाणु हथियार B83 से की जाए तो यह दोनों बम बेहद हल्के दिखाई देंगे.
B83 का भजन 1.2 मेगाटन है. 1 मेगाटन का मतबल है 1000 किलोटन या फिर 1000000 किलोग्राम. यानी जहां हिरोशिमा पर गिराया गया बम सिर्फ 15 टन का था वही B83 का वजन 1200 टन है. यानी यह हिरोशिमा पर गिराए गए बम की तुलना में 80 गुना ज्यादा शक्तिशाली है. यदि B83 के विस्फोट से उठने वाले आग के गुब्बारे की बात की जाए तो इसकी ऊंचाई इसकी ऊंचाई 20 हजार मीटर के आसपास होगी. यदि इसकी तुलना धरती पर मौजूद सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट से की जाए तो माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई इस आग के गुब्बारे से आधे से भी कम होगी. हवाई जहाज के उड़ने की औसत ऊंचाई भी इस परमाणु बम से उठने वाले आग के गुब्बारे से काफी कम है .
अब अगर अमेरिका द्वारा आज तक टेस्ट किए गए सबसे बड़े परमाणु बम Castle Bravo की बात की जाए तो यह बम 15 मेगाटन वजन का है. यानी हिरोशिमा पर गिराए गए बम की तुलना में 1000 गुना ज्यादा शक्तिशाली है. इसके विस्फोट से उठने वाले मशरूम की ऊंचाई 30 हजार मीटर से भी अधिक होगी. इसके विस्पोट क्षेत्र के आसपास मौजूद बिल्डिंगों को यह धूल बनाकर हवा में इतनी ऊपर तक उछाल देगा कि कुछ ही मिनटों में उस धूल की टक्कर अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइटो से होने लगेगी और एक एक करके सभी सेटेलाइट टूट कर नीचे गिरने लगेंगे. अगर यह बम जापान पर गिराया जाता तो सिर्फ हिरोशिमा शहर नहीं बल्कि पूरा जापान ही तबाह हो जाता|
अब अगर रूस के परमाणु हथियारों की बात की जाए तो वह अमेरिका से भी चार कदम आगे है. अक्टूबर 1961 में रूस ने मानव इतिहास का सबसे बड़ा धमाका करके अपने सबसे भारी परमाणु हथियार का टेस्ट किया था. रूस का परमाणु हथियार Tsar Bomba 50 मेगा टन से भी अधिक भारी है. हिरोशिमा पर गिराए जाने वाला बम इसके सामने खिलौने के सामान लगता है क्योंकि यह उस बम से 3500 गुना ज्यादा बढ़ा है. परीक्षण के लिए जब इसे Novaia Zemlia टापू पर गिराया गया था तो उसके विस्फोट से वह टापू पूरी तरह से तबाह हो गया था.
यह टापू आकार में साउथ कोरिया जितना बड़ा था. मतलब यह बम एक ही बार में पूरे देश को खत्म करने का दम रखता है. इस बम के विस्फोट की गूंज इतनी तेज थी कि 2000 किलोमीटर दूर स्थित है नॉर्वे और फिनलैंड तक के मकानों की खिड़कियों के शीशे टूट गए थे. विस्फोट से निकलने वाली शोक वेव इतनी तेज थी की पूरी धरती ही कांप गई थी और उत्तरी रूस के साथ साथ पूरी यूरोप में भी काफी तेज भूकंप आ गया था. लेकिन रूस इस परमाणु हथियार के साथ नहीं रुका बल्कि उसके पास इससे भी कहीं अधिक भारी परमाणु बम है.
वजन में Tsar Bomba से लगभग 2 गुना और हिरोशिमा पर गिराए गए बम से 7000 गुना भारी है. यह बोम 100 मेगा टन वजनी है. यह इतना घातक है कि आज तक रूस इस को टेस्ट करने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाया है. माना जाता है कि इसका सिर्फ एक टेस्ट पूरी पृथ्वी पर भारी तबाही ला सकता है इसलिए इसको बगैर परीक्षण किए ही सुरक्षित रखा गया है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या इतने घातक हथियारों की हमें वास्तव में जरूरत है? और उससे भी बड़ा सवाल है कि क्या हमें भविष्य में इन हथियारों को लेकर चिंतित होना चाहिए? दुनियाभर में मौजूद 15600 से भी ज्यादा यह बेहद खतरनाक परमाणु हथियार चंद सेकेंड में हमारे पूरे ग्रह को तबाह कर सकते हैं. हम इंसानों ने अपनी बुद्धि से खुद को ही खत्म करने के लिए इन हथियारों को बना लिया है.
अगर भविष्य में कभी तीसरा विश्वयुद्ध होता है और दूसरे विश्वयुद्ध की तरह है एक बार फिर से परमाणु हथियारों इस्तेमाल होता है तो यह बात तय है कि इस बार फिर से हम कभी कोई युद्ध नहीं कर पाएंगे. क्योंकि इस युद्ध के बाद इंसानों का अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा और हमारा यह प्यारा सा ग्रह है सिर्फ एक राख का ढेर बनकर रह जाएगा. सिर्फ एक युद्ध से पूरी पृथ्वी की हर एक चीज हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.
दोस्तों आप परमाणु हथियारों के बारे में क्या सोचते हैं… क्या हमने इन्हें बनाकर समझदारी का काम किया है या बेवकूफी का ? अपनी राय कमेंट में जरूर दें…