हमारा महान और प्राचीन देश भारत, अनेक प्राचीन सभ्यताओं, धर्म और संस्कृतियों को अपने अंदर समेटे हुए हैं . हमारे देश में सनातन धर्म से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य रहे हैं , जिन्हें आधुनिक विज्ञान या तो मानता नहीं या फिर हो सकता है कि जानता ही नहीं| नमस्कार दोस्तों आज मैं आप सभी को सनातन धर्म से जुड़े चार ऐसे रहस्य बताने जा रहा हूं , जो आज तक सुलझ नहीं सके हैं | अगर जानकारी पसंद आए तो हमारे पोस्ट को लाइक और शेयर करना ना भूलें |
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1.इच्छाधारी नाग
सांप एक ऐसा जीव है, जिसे हिंदू धर्म में गाय के बाद सबसे ऊंचा दर्जा मिला है | देश भर में आज भी नागों की पूजा की जाती है. Sheshnaag को 10 फन वाला सांप माना जाता है. भगवान विष्णु उन पर ही लेटे हुए दर्शाया गए हैं | भगवान शिव के गले में भी हमेशा नाग देवता लिपटे रहते हैं | सांपो के बारे में मान्यता है कि 100 वर्ष से ज्यादा उम्र होने के बाद उनमें उड़ने की और मनचाहा रूप लेने की क्षमता आ जाती है . यह भी माना जाता है कि कुछ सांपों के पास एक खास किस्म की मणि होती है , जो बेहद शक्तिशाली होती है . अगर वह मणि किसी इंसान को मिल जाए , तो वह इंसान अमर और अजय हो जाएगा| लेकिन आज तक कोई भी इंसान उस मणि को हासिल नहीं कर पाया है | हालांकि इन सभी बातों का कोई प्रमाण नहीं है , लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि सांप धरती का सबसे रहस्यमई जीव है और आज भी दक्षिण-पूर्व एशिया में उड़ने वाले सांप पाए जाते हैं . इसके अलावा दो मुंह वाले सांप और पैरों वाले सांपों को भी देखा गया है |
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2.संजीवनी बूटी
रामायण में उल्लेख मिलता है कि जब लक्ष्मण – मेघनाद युद्ध में मेघनाद के भयंकर अस्त्र प्रयोग से लक्ष्मण जी मरणासन्न हो गए थे . तब हनुमान जी उनके लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे. हनुमानजी बेशुमार वनस्पतियों मे से बूटी को पहचान नहीं पाए और पूरा पर्वत भी उठा लाए और लक्ष्मण को मृत्यु के मुख से खींचकर जीवनदान दिया गया | असल में संजीवनी चमत्कारी पौधा है . इसके बारे में यह माना जाता है कि यह मृत्यु शैया पर लेटे हुए व्यक्ति को पुनः स्वस्थ कर सकती है | पर सवाल यह उठता है कि यह चमत्कारी पौधा कौन सा है…. कुछ शोधकर्ताओं ने हिमालय के इलाके में ऐसे ही अनोखे पौधे की खोज की है शोधकर्ताओं का दावा है कि यह पौधा एक ऐसी औषधि के रूप में काम करता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को रेगुलेट करता है और हमें रेडियोएक्टिविटी से भी बचाता है | यह खोज सोचने पर मजबूर करती है रामायण की कहानी लक्ष्मण की जान बचाने वाले संजीवनी बूटी का जिक्र किया गया है क्या वह हमें मिल गई है…. Selaginella Bryopteris नाम की यह बूटी ठंडे और ऊंचे वातावरण में मिलती है |
3. सोमरस
माना जाता है कि स्वर्ग में अप्सराएं देवताओं को एक खास तरह का पेय पदार्थ पिलाती थी जिसे सोमरस कहा गया है . कुछ विद्वानों का मानना है कि सोमरस असल में शराब का ही रूप है जिसे देवता आनंद के लिए पीते थे | लेकिन ऋग्वेद में शराब की घोर निंदा करते हुए कहा गया है कि शराब पीने वाले अक्सर युद्ध और मारपीट या उत्पात मचाया करते हैं . शराब को बुराइयों की जड़ तक आ गया है , तो फिर ऐसे में सवाल यह उठता है कि देवता कैसे शराब पी सकते है | असल में वेदों में शराब को सोमरस नहीं बल्कि सुरा कहा गया है | और इसे दैत्यों का पेय पदार्थ बताया गया है . कहीं-कहीं ऐसे भी तर्क मिलते हैं कि सोमरस असल में भांग का ही एक रूप था उसे भगवान शिव के साथ-साथ अन्य देवता भी पिया करते थे , लेकिन सनातन धर्म से जुड़ी किताबों में हमें जगह-जगह पर नशे की निंदा या बुराई पढ़ने को मिलती है | ऋग्वेद में सोमरस को चाहिए दही और दूध मिलाने की बातें कही गई है जबकि यह सभी जानते हैं कि शराब में दूध और दही नहीं मिला जा सकता . भांग में दूध तो मिलाया जा सकता है लेकिन दही नहीं | इसीलिए यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सोमरस जो भी हो लेकिन वह शराब या भांग तो पका ही नहीं थी आखिरकार सोमरस क्या था… यह अभी तक रहस्य हैं |
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4. पुनर्जन्म की धारणा
यह धारणा है कि व्यक्ति मृत्यु के पश्चात पुनः जन्म लेता है . सनातन धर्म के साथ-साथ पुनर्जन्म को जैन , बौद्ध आदि धर्म में भी स्वीकारा जाता है . पुनर्जन्म पर हमेशा से ही भ्रम रहा है कई लोगों ने इसे माना है , तो कई लोगों को आज भी इस पर संदेह है | हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य का केवल 1 शरीर मरता है उसकी आत्मा नहीं | आत्मा एक शरीर को त्याग कर दूसरे शरीर में प्रवेश करती है, इसे ही पुनर्जन्म कहां गया है | समय-समय पर विश्व भर के लोग दावा करते रहे हैं कि उन्हें पिछले जन्म की सभी घटनाएं याद है. इतिहास में भी कई ऐसे किस्से मौजूद है जब किसी व्यक्ति ने दोबारा जन्म देकर अपने पिछले जन्म के हत्यारे से बदला लिया हो . विज्ञान की बात करें तो वैज्ञानिकों में भी पुनर्जन्म पर भ्रम है . ऐसा कोई सबूत नहीं मिलता जिससे आत्मा का एक शरीर से दूसरे शरीर में जाना साबित किया जा सके . फिर भी कुछ वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च किया और कुछ मनोवैज्ञानिक पुनर्जन्म को मानकर इसी आधार पर मनोविकारों और उससे जुड़े संबंधित शारीरिक बीमारियों का इलाज कर रहे हैं |
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आप किसी भी लेडी डॉक्टर से पूछ सकते हैं कि जब एक नवजात बच्चा पैदा होता है तो वह पैदा होते ही रोना शुरू नहीं कर देता बल्कि कुछ सेकंड तक बिल्कुल अचेत सा रहता है | यहां तक कि उसके शरीर में कोई हलचल नहीं होती लेकिन गर्भ से बाहर आने के एक या 2 सेकंड बाद ही बच्चा अचानक से हिलता है और अपनी जिंदगी का पहला एहसास लेकर जोर- जोर से रोना शुरु कर देता है | सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि आप किसी भी जीव के बच्चे को पैदा होते देखोगे तो यकीनन आपको ऐसा लगेगा कि जैसे यह बच्चा मृत पैदा हुआ था और अचानक से ही इसमें आत्मा ने प्रवेश किया है और आपको पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विश्वास हो जाएगा |
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Source : BBN