हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अनिल पायल है, इतिहास गवाह है कि भारत हमेशा से ही ज्ञान के क्षेत्र में एक अग्रणी देश रहा है| भारत के ज्ञान का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है, पर हम भारतवासी अपने देश को दुनिया से पीछे ही मानते आए हैं| भारत के बगैर ना धर्म की कल्पना की जा सकती है और ना विज्ञान की , चाहे शून्य का आविष्कार हो या फिर डेसिमल का भारतीय वैज्ञानिकों ने आदिकाल से ही दुनिया को कुछ ना कुछ दिया है| आज हम आपको कुछ ऐसे भारतीय आविष्कारों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका उपयोग पूरी दुनिया में हो रहा है|

भारत के प्राचीन शास्त्रों में उन अस्त्र शस्त्रों का वर्णन काफी पहले से किया हुआ है | जिनकी टेक्नोलॉजी पर आज बड़े-बड़े मिसाइल और परमाणु बम बन रहे हैं| महाभारत के युद्ध में कई प्रलय काली अस्त्रों का प्रयोग हुआ था हमारे धर्म ग्रंथों में जिन आग्नेय अस्त्रों जैसे कि वरूणास्त्र,पाशुपतास्त्र,सरपास्त्र और ब्रह्मास्त्र आदि का वर्णन मिलता है| आपको बताएं वह आज के आधुनिक युग में बंदूक मशीनगन परमाणु बम और जहरीली गैस के तौर पर जाने जाते हैं | आधुनिक काल में परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया था |
दुनिया के कुछ सबसे बड़े स्टैच्यू!
प्लास्टिक सर्जरी के आविष्कार से दुनिया में क्रांति आ गई है | पश्चिम के लोगों के अनुसार प्लास्टिक सर्जरी आधुनिक विज्ञान की देन है, लेकिन क्या आपको पता है 1000 ईसा पूर्व में ही महर्षि सुश्रुत ने अपने समय के चिकित्सकों के साथ मिलकर अंग लगाने, पथरी का इलाज करने और प्लास्टिक सर्जरी के जरिये रोगी को स्वस्थ करने की टेक्निक खोजी थी | भारत में सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक माना जाता है | युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं में जिनके अंग खराब हो जाते थे सुश्रुता उन्हें ठीक करने का काम करते थे |

हमारे भारतीय ऋषि-मुनियों और वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे आविष्कार किए हैं जिनके बल पर आज के आधुनिक विज्ञान और दुनिया का चेहरा बदल गया है | क्या आपको पता है कि शून्य और डेसिमल का आविष्कार भारत में हुआ था | महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट जी ने शून्य और डेसिमल की खोज की थी | यूरोपीय देशों को इस अंक प्रणाली का ज्ञान अरब देश से प्राप्त हुआ था जबकी अरब देश को यह ज्ञान भारत से मिला था | सोचिए 0 नहीं होता तो क्या आज हम गणित की कल्पना भी कर सकते थे, डेसिमल नहीं होता तो क्या होता |
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वैसे तो रेडियो का आविष्कारक गुल्येल्मो मार्कोनी को माना जाता है,और इसके लिए उनको 1909 में वायरलेस टेलीग्राफ के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला था| लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा की इससे करीब 14 साल पहले भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने सन 1895 में ही इसका आविष्कार कर लिया था| उस समय भारत एक गुलाम देश था और इसलिए बसु जी को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया| अंग्रेज काल में मार्कोनी को बसु जी के लाल डायरी के नोट मिले जिसके आधार पर उन्होंने रेडियो का आविष्कार किया|

हम सब जानते हैं कि आधुनिक विमान का आविष्कार Wright brothers ने किया है, लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा कि उनसे हजारों साल पहले महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्त्र लिखा था| जिसमें हवाई जहाज बनाने की टेक्निक का वर्णन मिलता है | इस शास्त्र में कई तरीके के विमानों का वर्णन है इतना ही नहीं इसमें हवाई युद्ध के बारे में भी लिखा गया है| इससे जाहिर होता है पहले ही विमानों का आविष्कार हो चुका था और इसका जन्मदाता भारत ही था|
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