आज हम जानेंगे महाभारत के 10 चौंकाने वाले रहस्य जो बहुत कम लोगों को पता है|
1. अभिमन्यु कालयवन राक्षस की आत्मकथा
अभिमन्यु जो अर्जुन का पुत्र था वह एक कालयवन नामक राक्षस की आत्मा थी| किसी ने कालयवन का वध कर उसकी आत्मा को अपने अंग वस्त्र में बांध लिया था| वह उस वस्त्र को अपने साथ द्वारिका ले गई और एक अलमारी में रख दिया| सुभद्रा जो अर्जुन की पत्नी थी उसने गलती से जब अलमारी खोली तो एक ज्योति उसके गर्भ में आ गई और वह बेहोश हो गई| इसी वजह से अभिमन्यु को चक्रव्यूह भेदने का आधा ही तरीका बताया गया था|
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10 shocking facts of the Mahabharata2. द्रौपदी बनी पांच पतियों की पत्नी
द्रौपदी अपने पिछले जन्म में इंद्रसेना नाम की दूसरी पत्नी थी| उसके पति संतमत दुल्ला का देहांत जल्द ही हो गया था अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उसने भगवान शिव से प्रार्थना की जब शिव उसके सामने प्रकट हुए तो वह घबरा गई और उसने 5 बार अपने लिए वर मांगा भगवान शिव ने अगले जन्म में उसे पांच पति दिए. 10 shocking facts of the Mahabharata
3. धृतराष्ट्र क्यों जन्मे थे अंधे
धृतराष्ट् अपने पिछले जन्म में एक बहुत दुष्ट राजा था| एक दिन उसने देखा नदी में एक हंस अपने बच्चों के साथ आराम से विचरण कर रहा है तो उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया उस हंस की आंखें फोड़ दी जाए और उसके बच्चों को मार दिया जाए| इसी वजह से अगले जन्म में वह अंधा पैदा हुआ और उसके पुत्र भी उसी तरह मृत्यु को प्राप्त हुए जैसे हंस के हुए थे|
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4. पांडवों ने अपने पिता का मांस खाया
पांडू ज्ञानी थे उनकी अंतिम इच्छा थी उनके पांचों बेटे उनकी मृत शरीर को खाए ताकि उन्होंने जो ज्ञान अर्जित किया था वह उनके पुत्रों में चला जाए| सिर्फ सहदेव ने पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके मस्तिष्क के तीन हिस्से खाए पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाते ही वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का| हालांकि ऐसी मान्यता भी है कि पांचों पांडवों ने ही मृत शरीर को खाया था पर सबसे ज्यादा हिस्सा सहदेव ने खाया था. 10 shocking facts of the Mahabharata
5. श्री कृष्ण लिया बर्बरीक का शीश दान में
बर्बरीक भीम का पोता और घटोत्कच का पुत्र था, बर्बरीक को कोई नहीं हरा सकता था क्योंकि उसके पास कामाख्या देवी से प्राप्त हुए 3 तीर थे जिनसे वह कोई भी युद्ध जीत सकता था पर उसने शपथ ली थी कि वह सिर्फ कमजोर पक्ष के लिए ही लड़ेगा| अब क्योंकि बर्बरीक जब वहां पहुंचा तब कौरव कमजोर थे इसलिए उसका उनकी तरफ से लड़ना तय था. जब यह बात श्री कृष्ण को पता चली तो उन्होंने उसका सीश ही दान में मांग लिया तथा उसे वरदान दिया कि तू कलयुग मे श्याम नाम से जाना जाएगा| इसी बर्बरीक का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी में है जहां उनकी बाबा श्याम के नाम से पूजा होती है|
6. महाभारत में हर योद्धा के पास था शंख
महाभारत में हर योद्धा के पास अपना अलग अलग शंख था| सभी योद्धाओं के शंख बहुत ही शक्तिशाली होते थे भगवद गीता के 1 श्लोक में सभी शंखो के नाम है| अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त था भीम के शंख का नाम पौंडरा था उसकी आवाज से कान से सुनना बंद हो जाता था भगवान श्री कृष्ण के शंख का नाम पांचजन्य और युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंत विजया, सहदेव के शंख का नाम पुष्पकों और नकुल के शंख का नाम सुघोष मनी था |
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7. अर्जुन फिर गए थे 12 वर्ष के वनवास पर
एक बार कुछ डाकुओं का पीछा करते हुए अर्जुन गलती से युधिष्ठिर और द्रोपदी के कमरे में दाखिल हो गया| अपनी गलती की सजा के लिए 12 साल के वनवास के लिए निकल गया उस दौरान अर्जुन ने 3 विवाह कीए चित्रांगदा, उलोपी और सुभद्र| इसी नागकन्या उलूपी से उसे एक पुत्र हुआ जिसका नाम इरावन था| महाभारत के युद्ध में जब एक बार एक राजकुमार की स्वैच्छिक नरबलि की जरूरत पड़ी तो इरावन ने ही अपनी बलि दी थी. 10 shocking facts of the Mahabharata
8. कुरुक्षेत्र में मिट्टी का रंग लाल है
आज भी कुरुक्षेत्र में जो मिट्टी है वह अजीब है कुरुक्षेत्र में एक जगह है जहां माना जाता है कि महाभारत का युद्ध हुआ था| उस जगह कुछ 30 किलोमीटर के दायरे में जो मिट्टी है उसकी संरचना बहुत ही अलग है| वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे हैं कि यह कैसे संभव है क्योंकि इस तरह की मिट्टी सिर्फ तब हो सकती है जब उस जगह पर बहुत ज्यादा तेज गर्मी हो| बहुत से लोगों का मानना है कि लड़ाई की वजह से मिट्टी की प्रवृत्ति बदली है|
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9. एकलव्य ही था द्रोणाचार्य की मृत्यु का कारण
एकलव्य देव शर्मा का पुत्र था. वह जंगल में खो गया था और उसको एक निश्चित हिरण धनु ने बचाया था| एकलव्य रुक्मणी स्वयंवर के समय अपने पिता की जान बचाते हुए मारा गया| उसके इस बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उसे वरदान दिया था कि वह अगले जन्म में द्रोणाचार्य से बदला ले पाएगा| अपने अगले जन्म में एकलव्य दृष्टिघूमन बनके पैदा हुआ और द्रोणाचार्य की मृत्यु का कारण बना|
10. शकुनि ही था कौरवों के नाश का कारण
एक साधु के कहे अनुसार गांधारी का विवाह सबसे पहले एक बकरे के साथ किया गया था बाद में उस बकरे की बलि दे दी गई थी| यह बात गांधारी के विवाह के समय छुपाई गई थी| जब धृतराष्ट्र को इस बात का पता चला तो उसने गांधार नरेश सुवाला और उसके 100 पुत्रों को कारावास में डाल दिया और काफी यातनाएं भी दी| एक एक करके सुबाला के सभी पुत्र मरने लगे उन्हें खाने के लिए सिर्फ मुट्ठी भर चावल दी जाते थे. सुबाला ने अपने सबसे छोटे बेटे शकुनी को प्रतिशोध के लिए तैयार किया| सब लोग अपने हिस्से के चावल शकुनि को दे देते थे ताकि वह जीवित रह कर कौरवों का नाश कर सके| मृत्यु से पहले सुबाला ने धृतराष्ट्र से शकुनि को छोड़ने की विनती की जो धृतराष्ट्र ने मान ली| सुबाला ने शकुनि को अपनी रीड की हड्डी के पासे बनाने के लिए कहा वही पासे कौरव वंश के नाश का करण बना| शकुनि ने हस्तिनापुर में सबका विश्वास जीता और 100 कौरवों का अभिभावक भी बना उसने ना केवल दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भड़काया बल्कि महाभारत के युद्ध का आधार भी बना|
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दोस्तों क्या सच में महाभारत का युद्ध हुवा था ? आप अपनी राय कमेंट में बता सकते है